Punjab News: बड़े नामों की खुलीं परतें! नशा बेचने से नशा छुड़ाने तक का गंदा खेल, अवैध नशा मुक्ति केंद्र नशे से भी ज्यादा खतरनाक

Punjab News: साल 2013 में जब अर्जुन पुरस्कार विजेता पहलवान और पंजाब पुलिस के डीएसपी जगदीश भोला को छह हजार करोड़ के ड्रग्स रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तो पूरा पंजाब हैरान रह गया। तब तक नशे की लत हर गांव में फैल चुकी थी लेकिन भोलाकांड के बाद ये मुद्दा लोगों की जुबान पर आ गया। पुलिस ने विशेष टास्क फोर्स बनाई और जब कार्रवाई तेज हुई तो कई बड़े नाम सामने आने लगे। राजनीतिक मंचों से नशा मुक्त पंजाब के वादे किए जाने लगे लेकिन 12 साल बाद भी हालत में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता।
वास्तविकता और आंकड़ों का सच
पंजाब में इस वक्त 2.5 लाख नशे के आदी लोग रजिस्टर्ड हैं जबकि 16.5 लाख लोग इलाज के लिए डिटॉक्स सेंटर पहुंचते हैं। राज्य में कुल 208 नशा मुक्ति केंद्र हैं जिनमें से 170 से ज्यादा निजी हैं। पिछले तीन साल में नशे के कारण 500 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कई बार केंद्रों में क्षमता से तीन गुना ज्यादा मरीज रखे जा रहे हैं जिससे इलाज भी प्रभावी नहीं हो पाता।
गैरकानूनी केंद्रों का आतंक और अमानवीयता
पंजाब में सैकड़ों अवैध नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं जहां कोई डॉक्टर नहीं होता न ही प्रशिक्षित स्टाफ। वहां 30 हजार से एक लाख रुपये तक की फीस वसूली जाती है और कई जगह तो मरीजों को पीटा भी जाता है। जालंधर के एक गांव में 45 की जगह 107 मरीज भर्ती थे जिन्हें जमीन पर सुलाकर मारा जाता था। मरीजों को बिना दवाई के रखा जाता है और उनकी हालत बद से बदतर होती जाती है।
सरकार की नई योजना और पुलिस की कार्रवाई
पंजाब सरकार अब राज्य में 300 नए डिटॉक्स सेंटर खोलने जा रही है ताकि हर 10 किलोमीटर के दायरे में एक केंद्र हो। मार्च 2025 के बजट में इसके लिए 150 करोड़ का प्रावधान किया गया है। पिछले तीन महीनों में पुलिस ने 8344 मामले दर्ज किए और 14734 तस्करों को गिरफ्तार किया। 586 किलो हेरोइन और करोड़ों की ड्रग्स जब्त की गईं।
सामाजिक जागरूकता और अदालत की अनदेखी
ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई सिर्फ पुलिस या सरकार की नहीं है बल्कि पूरे समाज को इसमें साथ आना होगा। हाईकोर्ट ने 2013 में नशा नियंत्रण को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन उनका पालन कभी गंभीरता से नहीं हुआ। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इन केंद्रों की नियमित जांच हो और सही संसाधन मिलें तो सुधार संभव है। जागरूकता और संयम ही इसका असली इलाज है।